book-author | Satguru Shri Wamanrao Pai |
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format | Double Pin |
तुम ही हो अपने जीवन के शिल्पकार (हिंदी)
₹50.00
हमारा जीवन भाग्यवश व्यतीत होता है, इस दृष्टिकोण से ही आम मनुष्य अपने जीवन की ओर देखता है। परंंतु सफल जिंदगी जीना यह एक कला है। जगत्, परिवार, शरीर, इंद्रियां, चेतन मन, अवचेतन मन एवं परमेश्वर ये जीवन संगीत के सात स्वर सही तरीके से इस्तेमाल करने पर ही मनुष्य का जीवन संगीतमय हो जाता है। सद्गुरु जी यह बात समझाते हुए कहते हैं, कि मनुष्य स्वयं ही अपना भविष्य साकार करता है, क्योंकि प्रकृति ने मनुष्य को कर्म स्वतंत्रता प्रदान की है । और इस कर्म स्वतंत्रता का उपयोग किस तरह से करना है यह किसी अन्य को नहीं बल्कि हर मनुष्य को स्वयं ही तय करना होता है। अतः “तुम ही हो अपने जीवन के शिल्पकार।” इस दिव्य सिद्धांत का गहन अर्थ इस ग्रंथ में सद्गुरु जी ने विस्तारपूर्वक प्रतिपादित किया है।
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